हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीन पर व्यापार टैरिफ लगाने में अहसास किए गए झिझक का मुख्य कारण सिर्फ कूटनीतिक मुद्दे नहीं हैं — बल्कि कई गहरे आर्थिक और सुरक्षा संबंधी कारण हैं जिनका असर अमेरिकी उद्योगों तक फैला हुआ है।
1. चीन का रेयर अर्थ का वर्चस्व
चीन विश्व का नेतृत्व करता है: लगभग 90 % रेयर अर्थ के रिफाइनिंग और 70 % खनन का नियंत्रण उसी के पास है। इन खनिजों का उपयोग ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उपकरणों में होता है। इसलिए, टैरिफ लगाने से आपूर्ति संकट और उद्योगों में बाधा हो सकती है।
2. आपूर्ति शृंखला में आपात स्थिति
चीन ने टैरिफ़ पर प्रतिक्रिया में रेयर अर्थ-आधारित उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे अमेरिकी और यूरोपीय निर्माताओं को भारी परेशानी हुई — उदाहरण के लिए, Ford ने अपनी Chicago फैक्ट्री में उत्पादन रोका।
3. रक्षा और तकनीकी सुरक्षा का जोखिम
रेयर अर्थ खनिज F-35 लड़ाकू विमान, मिसाइल–गाइडेंस सिस्टम्स, उपग्रह, और अन्य आधुनिक रक्षा तकनीकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। चीन की त्रुटिपूर्ण आपूर्ति अमेरिका की सैन्य क्षमता को जोखिम में डाल सकती है।
4. गोपनीय रणनीतिक दबाव
टैरिफ लागू करना आसान तो है, लेकिन इसकी وجہ से चीन की ओऱ से जवाबी कार्रवाई का खतरा रहता है—जैसे राजनयिक या आर्थिक फ़ाइनल प्रेशर। इसलिए, कई विशेषज्ञ यह मानते हैं कि टैरिफ से उल्टा असर हो सकता है: अमेरिका ही अस्थिरता का शिकार बने।
5. ट्रेड डील और दे-escalation रणनीति
टैरिफ़ लगाने से पहले, अमेरिका ने ज्यादातर मामलों में भागीदारी और सौहार्द बढ़ाने के पक्ष में रहा है। उदाहरण के तौर पर, हाल की ट्रेड वार्ता में चीन ने रेयर अर्थ की आपूर्ति तेज़ी से फिर से शुरू करने का आश्वासन दिया और अमेरिका ने कुछ टैरिफ घटाए। यह रणनीति टक्कर से बचने की कोशिश है, ना कि टकराव बढाने की।