भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 2025 के दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) के लिए सामान्य से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है। इस वर्ष देशभर में औसतन 105% वर्षा होने की संभावना है, जो दीर्घकालिक औसत (LPA) 87 सेमी से अधिक है।
मानसून पूर्वानुमान: प्रमुख बिंदु
- कुल वर्षा: 2025 में देशभर में 105% LPA के बराबर वर्षा की संभावना है, ±5% की त्रुटि सीमा के साथ।
- क्षेत्रीय वितरण: देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना है, जबकि उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हो सकती है।
- ENSO स्थिति: वर्तमान में एल नीनो/ला नीना की स्थिति तटस्थ है, जो मानसून पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
कृषि और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
भारत की लगभग 50% कृषि भूमि सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर है। सामान्य से अधिक वर्षा से फसल उत्पादन बढ़ेगा, जिससे खाद्य कीमतों में स्थिरता आएगी और मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगी। वर्तमान में खुदरा मुद्रास्फीति 3.34% है, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे कम है।
इसके अलावा, अच्छी वर्षा से चावल, प्याज और चीनी जैसे कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ेगा और खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम होगी। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल और प्याज निर्यातक और दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है।
क्षेत्रीय प्रभाव
- महाराष्ट्र: कृषि उत्पादन में वृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
- उत्तर भारत: कुछ क्षेत्रों में कम वर्षा से फसल उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
- दक्षिण भारत: कम वर्षा के कारण जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
निष्कर्ष
2025 में सामान्य से अधिक मानसून की भविष्यवाणी भारत के लिए सकारात्मक संकेत है, खासकर कृषि और अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से। हालांकि, क्षेत्रीय असमानताओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार और किसानों को सतर्क रहना होगा और आवश्यक तैयारियां करनी होंगी।