राजस्थान की रेत में जब रंग बिखरते हैं, लोकगीतों की मिठास गूंजती है और दूर-दूर से लोग एक साथ जुटते हैं, तब वहां एक अनोखा मेला सजता है — पुष्कर मेला। यह न सिर्फ भारत का बल्कि विश्व का सबसे बड़ा ऊँट मेला माना जाता है, जहां परंपरा, संस्कृति, व्यापार और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
पुष्कर मेला क्या है?
पुष्कर मेला हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा के आसपास, राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित पुष्कर नगरी में आयोजित होता है। यह मेला लगभग 7 से 10 दिनों तक चलता है और हजारों की संख्या में ऊँट, मवेशी, व्यापारी, साधु-संत, पर्यटक और स्थानीय लोग इसमें भाग लेते हैं।
मेले की शुरुआत और धार्मिक महत्त्व
पुष्कर को भगवान ब्रह्मा की नगरी कहा जाता है, जहां विश्व का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर स्थित है। कार्तिक पूर्णिमा पर हजारों श्रद्धालु पुष्कर सरोवर में स्नान करके पुण्य प्राप्त करने आते हैं। इसी धार्मिक अवसर के साथ व्यापारिक और सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत होती है, जो अब वैश्विक पहचान बन चुका है।
ऊँटों का रंग-बिरंगा कारवां
पुष्कर मेला का सबसे बड़ा आकर्षण है — ऊँटों की सजावट और उनकी प्रतियोगिताएं।
- ऊँटों को रंग-बिरंगे कपड़ों, गहनों और कलात्मक डिजाइनों से सजाया जाता है।
- ऊँट दौड़, ऊँट सजावट प्रतियोगिता और ऊँट नृत्य जैसे आयोजन पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
- यह मेला ऊँट व्यापारियों के लिए एक बड़ा बाज़ार भी होता है, जहां सैकड़ों ऊँट खरीदे-बेचे जाते हैं।
लोक संस्कृति की झलक
पुष्कर मेला सिर्फ ऊँटों का नहीं, यह राजस्थानी लोककला और संस्कृति का अद्वितीय प्रदर्शन भी है।
- यहाँ घूमर और कालबेलिया जैसे लोकनृत्य, मटकी फोड़, कबड्डी, कुश्ती, लंबी मूंछ प्रतियोगिता और दुल्हन सजाओ प्रतियोगिता जैसी कई रोमांचक गतिविधियाँ होती हैं।
- रंग-बिरंगे बाजारों में राजस्थानी हस्तशिल्प, गहने, कपड़े, कालीन और लोक वाद्ययंत्र मिलते हैं।
विदेशी पर्यटकों की पसंदीदा मंज़िल
हर साल हजारों विदेशी पर्यटक इस मेले का हिस्सा बनने भारत आते हैं। कैमरे, संस्कृति और रोमांच के दीवाने इन यात्रियों के लिए पुष्कर मेला एक फोटोजेनिक और अनुभवात्मक जन्नत बन चुका है।
पुष्कर में ठहरने और घूमने की व्यवस्था
- कैमल कैंप्स, हेरिटेज होटल्स, और स्थानीय गेस्ट हाउस पर्यटकों के लिए शानदार ठहरने के विकल्प देते हैं।
- आप ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर झील, बाजार और पास के रेगिस्तानी गांवों की सैर भी कर सकते हैं।
निष्कर्ष
पुष्कर मेला सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि एक जीवंत अनुभव है। यह भारत की उस आत्मा को दर्शाता है जो रंगों, संस्कृति, परंपरा और जीवन से भरपूर है। अगर आपने अब तक पुष्कर मेला नहीं देखा है, तो यह जीवन में एक बार ज़रूर देखने वाला अनुभव है।