भारत में सड़कों पर गाय, सांड, कुत्ते, बकरी और भैंस जैसे आवारा पशुओं को घूमते देखना आम बात हो गई है। लेकिन यह “आम” चीज़ अब एक गंभीर समस्या बन चुकी है।
जहाँ एक ओर ये निरीह जानवर खुद सुरक्षा और देखभाल के मोहताज हैं, वहीं दूसरी ओर ये यातायात, आमजन और स्वयं अपने जीवन के लिए खतरा बन गए हैं।
समस्या कितनी गंभीर है?
- सुबह की ऑफिस टाइम हो या रात का सुनसान रास्ता, सड़कों पर बैठे जानवर अचानक सामने आ जाते हैं।
- आवारा कुत्तों के झुंड बच्चों, बुजुर्गों और दोपहिया सवारों पर हमला कर देते हैं।
- तेज रफ्तार वाहनों और इन जानवरों की टक्कर में दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
- गाय-बैलों द्वारा कचरे में प्लास्टिक खाना उनके स्वास्थ्य के लिए घातक होता है।
- ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में यह समस्या अब सामान्य नहीं, खतरनाक बन चुकी है।
कुछ कड़वी सच्चाइयाँ:
- भारत में हर साल हजारों सड़क दुर्घटनाएं आवारा पशुओं के कारण होती हैं।
- कई राज्य सरकारें गौशालाओं और कैटल शेल्टर के लिए बजट निकालती हैं, लेकिन पालन और मॉनिटरिंग में कमी रहती है।
- पशु मालिक जानवरों को खुला छोड़ देते हैं, जिससे वह सड़क पर आ जाते हैं।
इसके दुष्परिणाम:
- सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोत्तरी
- यातायात बाधित होना और ट्रैफिक जाम
- बीमार जानवरों से संक्रमण फैलने का खतरा
- कचरा खाने से जानवरों की मृत्यु
- लोगों में डर और असुरक्षा की भावना
समाधान की दिशा में कुछ जरूरी कदम:
प्रशासन की भूमिका:
- सुनियोजित पशु पकड़ने की व्यवस्था
- स्थायी गौशालाएं और कैटल होम का निर्माण और निगरानी
- पशु मालिकों पर जुर्माना, अगर वे जानवरों को आवारा छोड़ते हैं
- सड़कों पर CCTV से निगरानी और रियल-टाइम रेस्पॉन्स टीम
- अवैध बूचड़खानों और पशु तस्करी पर सख्ती
नागरिकों की जिम्मेदारी:
- जानवरों को खाना ज़रूर दें, लेकिन सड़क पर नहीं
- पशु देखभाल संगठनों को सहयोग करें
- जहाँ आवारा जानवर दिखें, वहाँ नगर निगम को सूचना दें
- सामाजिक स्तर पर जागरूकता फैलाएं
- पालतू पशुओं को जिम्मेदारी से रखें
निष्कर्ष:
सड़कों पर घूमते आवारा पशु न तो केवल एक ट्रैफिक की समस्या हैं, न ही केवल एक प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा — यह हमारी सामूहिक असंवेदनशीलता का परिणाम है।
इन जानवरों को संवेदनशीलता के साथ व्यवस्था की ज़रूरत है — ताकि जनता सुरक्षित रहे और जानवर भी सम्मान के साथ जी सकें।
“सड़कें गाड़ियों के लिए हैं, जानवरों के लिए नहीं — लेकिन उनके लिए भी ज़मीन पर एक सुरक्षित जगह होनी चाहिए।”
आइए, इस समस्या को अनदेखा न करें, बल्कि सुनिश्चित करें कि हर जानवर सुरक्षित हो — और हर नागरिक भी।