दीवाली: अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा

दीवाली केवल दीपों का त्योहार नहीं है, यह आत्मा के अंधकार को मिटाकर ज्ञान, प्रेम और आशा के प्रकाश से जीवन को रोशन करने की एक आंतरिक यात्रा है। यह पर्व हर साल याद दिलाता है कि चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, प्रकाश की एक छोटी सी किरण भी अंधकार को पराजित कर सकती है।


दीयों की रौशनी – आशा का संदेश

दीवाली की रात जब लाखों दीप जलते हैं, तो न सिर्फ घर रौशन होते हैं, बल्कि दिल भी। हर जलता दीपक एक उम्मीद, एक दुआ, और एक नई शुरुआत का प्रतीक होता है। अंधकार चाहे बाहर हो या भीतर, दीयों की यह रौशनी कहती है – “हर रात के बाद सुबह ज़रूर होती है।”


सफाई की परंपरा – भीतर और बाहर दोनों की

दीवाली से पहले हर घर की सफाई होती है। लेकिन यह परंपरा केवल धूल-मिट्टी हटाने तक सीमित नहीं है। यह मन के विकारों, पुरानी नकारात्मकताओं और टूटे रिश्तों को भी साफ करने का अवसर है। जब घर और दिल दोनों साफ होते हैं, तब ही सच्चे अर्थों में दीवाली मनाई जाती है।


राम का आगमन – धर्म की विजय

दीवाली का इतिहास हमें प्रभु श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की याद दिलाता है। यह उनके संघर्ष, धैर्य, और धर्म की विजय का प्रतीक है। दीवाली हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिन राह क्यों न हो, सत्य और प्रेम की राह हमेशा सफलता की ओर ले जाती है।


पूजन और परंपराएं – श्रद्धा का प्रतीक

दीवाली की रात लक्ष्मी पूजन, गणेश पूजन और धन की देवी की आराधना होती है। यह केवल धन की कामना नहीं, बल्कि शुद्धता, परिश्रम और सद्भावना से संपन्न जीवन की कामना है। दीप जलाकर हम यह संकल्प लेते हैं कि हम न केवल अपने लिए, बल्कि समाज के लिए भी रौशनी बनें।


मिठाइयों और मेल-मिलाप की मिठास

दीवाली का मतलब है अपने परिजनों, मित्रों और पड़ोसियों के साथ मिठास बाँटना। गुझिया, चकली, लड्डू और नमकीन स्वाद से भरे होते हैं, पर उनसे भी ज़्यादा मीठा होता है वह अपनापन जो हम एक-दूसरे को देकर इस पर्व को खास बनाते हैं।


हर दीवाली हो अर्थपूर्ण और इको-फ्रेंडली

आज के समय में पटाखों का शोर और प्रदूषण इस पर्व के उद्देश्य को नुकसान पहुँचाते हैं।
सच्ची दीवाली वही है जो शांति, स्वच्छता और प्रकृति के सम्मान के साथ मनाई जाए।
हर छोटा प्रयास – जैसे मिट्टी के दीपक जलाना, हर्बल रंगोलियाँ बनाना और पटाखों से दूरी – हमें एक ज़िम्मेदार नागरिक बनाता है।


निष्कर्ष: प्रकाश बनो, केवल प्रकाश में न रहो

दीवाली की असली खुशी तब है जब हम अपने साथ दूसरों की ज़िंदगी में भी उजाला लाएँ।
किसी ज़रूरतमंद को मिठाई देना, किसी अकेले बुज़ुर्ग के घर दीया जलाना, या किसी दुखी मन को मुस्कान देना – यही है अंधकार से प्रकाश की ओर सच्ची यात्रा।

इस दीवाली, अपने भीतर के अंधेरे को पहचानिए, उसे प्रेम और समझदारी के प्रकाश से मिटाइए – और बन जाइए एक चलता-फिरता दीपक।

आप सभी को शुभ, सुरक्षित और प्रकाशमयी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!

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