“मेले में क्या-क्या खरीदना चाहिए?”

मेला मतलब सिर्फ झूले और चाट नहीं – मेला है ख़रीदारी का जादुई बाजार!
हर मेला एक खज़ाना होता है, जिसमें आपको वो चीजें मिलती हैं, जो किसी मॉल या शोरूम में नहीं मिलतीं। देसी स्वाद, हस्तशिल्प की खूबसूरती और लोकल कला की झलक – सब कुछ एक ही जगह!

तो आइए जानते हैं, मेले में जाकर क्या-क्या खरीदना चाहिए जिससे आपका अनुभव यादगार भी हो और काम का भी।


1. हस्तशिल्प और हैंडमेड सजावटी सामान

लकड़ी की नक्काशी, मिट्टी की मूर्तियाँ, बांस से बने लैंप्स और रंग-बिरंगे झूमर – ये चीज़ें न सिर्फ आपकी सजावट को चार चाँद लगाती हैं, बल्कि कारीगरों की मेहनत की भी कहानी कहती हैं।

एक स्टॉल जिसमें रंग-बिरंगी हस्तशिल्प चीजें लटकी हों – बांस के लैंप, मिट्टी के दीपक और लकड़ी की आकृतियाँ।


2. पारंपरिक गहने और चूड़ियाँ

रंग-बिरंगी काँच की चूड़ियाँ, ऑक्सिडाइज़्ड झुमके, हाथ से बनी पायल और लोकल डिज़ाइन की बिंदी – हर मेलामें आपको कुछ नया मिल जाएगा जो स्टाइल में देसी टच जोड़ देगा।

एक महिला रंग-बिरंगी चूड़ियों से भरे स्टॉल पर हाथ बढ़ाकर पसंद कर रही हो।


3. लोकल कपड़े और कढ़ाई वाले परिधान

मेला उन लोगों के लिए स्वर्ग है जो यूनिक पहनावा ढूंढते हैं – जैसे राजस्थानी बांधनी, उत्तराखंडी ऊनी कपड़े, कच्छी कढ़ाई, या हैंडब्लॉक प्रिंट वाले कुर्ते।

कढ़ाईदार कुर्तों से सजा स्टॉल, जिसमें कुछ लोग कपड़े छांट रहे हैं।


4. देसी खाने-पीने की चीज़ें

घर का बना अचार, गुड़ की बर्फी, देशी घी के लड्डू, मूँगफली, चना – जो स्वाद आपको मेलों में मिलेगा, वो सुपरमार्केट में नहीं।

एक बूढ़ी अम्मा अचार के बड़े मर्तबानों के पास बैठी हों, और लोग चखते हुए देख रहे हों।


5. बच्चों के खिलौने और झुनझुने

हाथ से बने लकड़ी के खिलौने, रंग-बिरंगे गुब्बारे, और झुनझुने – मेले की ये पहचान आज भी बच्चों को उतनी ही खुशी देती है जितनी पहले देती थी।

बच्चा हाथ में लकड़ी का घोड़ा लिए मुस्कुरा रहा हो, बैकग्राउंड में खिलौनों का स्टॉल।


6. लोक साहित्य और धार्मिक किताबें

अक्सर मेलों में लोककथाओं, भक्ति गीतों और क्षेत्रीय साहित्य की किताबें मिलती हैं, जो शहरों में मिलना मुश्किल होता है। अगर आप पढ़ने के शौकीन हैं तो ये खज़ाना छूटना नहीं चाहिए।:

एक पुराना किताबों का स्टॉल – रंग-बिरंगी धार्मिक और लोककथा की किताबें सजी हों।


7. जड़ी-बूटी और देसी नुस्खे वाली चीज़ें

कुछ मेलों में देसी वैद्य हर्बल नुस्खे वाली चीज़ें बेचते हैं – जैसे बालों का तेल, दर्द निवारक लेप, या स्किन के लिए घरेलू उपचार। पर इन्हें खरीदने से पहले थोड़ा जानकारी ज़रूर लें।

एक वैद्य अपनी छोटी दुकान में देसी तेल और जड़ी-बूटियाँ सजा रहा हो।


अंतिम टिप्स:

  • मोलभाव करें, यह मेले की परंपरा है!
  • स्थानीय चीज़ें खरीदें, इससे लोकल कारीगरों को सपोर्ट मिलेगा।
  • यादगार के लिए एक छोटी-सी चीज़ ज़रूर लें – चाहे गुब्बारा हो या मिट्टी की बनी सीटी।

अंत में…

मेला वो जगह है जहाँ खरीदी हुई हर चीज़ में एक कहानी होती है – एक कलाकार की मेहनत, एक संस्कृति की छाप और एक अनुभव की ख़ुशबू।
तो अगली बार जब आप मेले जाएं, तो खाली हाथ मत लौटिए – वहाँ की रंगीनियाँ साथ ले आइए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share via
Copy link