अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के बीच भारत की भूमिका: अवसर और चुनौतियाँ
2025 में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध ने वैश्विक व्यापारिक परिदृश्य में अस्थिरता पैदा कर दी है। इस संघर्ष के बीच भारत को एक रणनीतिक और आर्थिक अवसर के रूप में देखा जा रहा है, जहां वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी भूमिका को मजबूत कर सकता है।
वैश्विक व्यापार युद्ध की पृष्ठभूमि
अमेरिका ने चीन पर नए टैरिफ लगाए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया है। इस स्थिति ने वैश्विक निवेशकों और कंपनियों को वैकल्पिक बाजारों की तलाश करने पर मजबूर किया है, और भारत इस संदर्भ में एक संभावित विकल्प के रूप में उभर रहा है।
भारत की रणनीतिक स्थिति
भारत ने इस अवसर का लाभ उठाने के लिए कई कदम उठाए हैं:
- टैरिफ में कटौती: भारत ने अमेरिका से आयातित 55% उत्पादों पर टैरिफ कम करने की पेशकश की है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिल सकता है।
- निवेश आकर्षण: भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नीतिगत सुधार किए हैं, जिससे वैश्विक कंपनियों को चीन के विकल्प के रूप में भारत में उत्पादन स्थापित करने का प्रोत्साहन मिला है।
- कृषि और आईटी क्षेत्र में अवसर: अमेरिका द्वारा चीन से आयातित कृषि उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने से भारत को अपने कृषि निर्यात, जैसे बासमती चावल, मसाले और चाय, को अमेरिका में बढ़ाने का अवसर मिला है।
चुनौतियाँ और सतर्कता
हालांकि अवसर मौजूद हैं, भारत को कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है:
- अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव: अमेरिका ने भारत पर 27% ‘रिसिप्रोकल टैरिफ’ लगाया है, जिससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो सकता है।
- आयात निगरानी: भारत ने चीन और अमेरिका से अप्रत्यक्ष रूप से आने वाले उत्पादों की निगरानी बढ़ा दी है, ताकि घरेलू उद्योगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
निष्कर्ष
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी भूमिका को मजबूत करने का अवसर प्रदान किया है। हालांकि, इस अवसर का पूर्ण लाभ उठाने के लिए भारत को नीतिगत सुधार, बुनियादी ढांचे में निवेश और वैश्विक मानकों के अनुरूप उत्पादों के उत्पादन पर ध्यान देना होगा।