भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूती प्रदान करते हुए दोनों देशों ने दोहरे कराधान से बचाव और आय पर कर के संबंध में सहयोग हेतु एक ऐतिहासिक समझौते (DTAA) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता व्यापार, निवेश और आर्थिक विकास को नई दिशा देने की क्षमता रखता है।
दोहरे कराधान से बचाव (DTAA) क्या है?
Double Taxation Avoidance Agreement (DTAA) एक ऐसा समझौता होता है जो यह सुनिश्चित करता है कि किसी एक ही आय पर दो देशों में दो बार टैक्स न लगे।
उदाहरण के लिए, अगर कोई भारतीय कंपनी श्रीलंका में कारोबार कर रही है, तो उसे पहले श्रीलंका में टैक्स देना पड़ता है और फिर उसी आय पर भारत में भी। DTAA इस दोहरे कराधान से राहत देता है।
समझौते के मुख्य बिंदु
- दोहरे कराधान से बचाव
समझौते के तहत दोनों देश अपने नागरिकों और कंपनियों को राहत देंगे ताकि एक ही आय पर दो बार टैक्स न देना पड़े। - सूचना के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन
टैक्स चोरी को रोकने के लिए दोनों देश आपस में वित्तीय सूचनाओं का आदान-प्रदान करेंगे। - निवेश को बढ़ावा
इस समझौते से भारत और श्रीलंका के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को नई गति मिलेगी। - उद्योगों को लाभ
आईटी, मैन्युफैक्चरिंग, टूरिज्म और शिक्षा क्षेत्रों में निवेश करने वाली कंपनियों को विशेष लाभ मिलेगा।
व्यापारिक दृष्टिकोण से क्या होगा लाभ?
यह समझौता भारतीय कंपनियों को श्रीलंका में और श्रीलंकाई कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए एक अनुकूल टैक्स वातावरण प्रदान करेगा। इससे ट्रेड बैलेंस, बिज़नेस वॉल्यूम, और बिलेटरल रिलेशनशिप में सुधार होगा।
नेताओं की प्रतिक्रिया
भारत के वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा:
“यह समझौता एक मजबूत, पारदर्शी और सहयोगात्मक टैक्स स्ट्रक्चर को बढ़ावा देगा और निवेशकों का भरोसा मजबूत करेगा।”
वहीं श्रीलंका सरकार ने भी इसे एक “विकास की दिशा में निर्णायक कदम” बताया।
क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में कदम
भारत और श्रीलंका दोनों ही सार्क और बिम्सटेक जैसे क्षेत्रीय संगठनों के सदस्य हैं। यह समझौता क्षेत्रीय एकता और आर्थिक सहयोग की दिशा में भी एक प्रगतिशील कदम माना जा रहा है।
निष्कर्ष
भारत-श्रीलंका के बीच हुआ यह दोहरा कराधान से बचाव का समझौता केवल एक वित्तीय समझौता नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच बढ़ते भरोसे, पारस्परिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता की मिसाल है। आने वाले वर्षों में इसका सकारात्मक प्रभाव दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और व्यापारिक माहौल पर साफ़ दिखाई देगा।