भारतवर्ष में जब चैत्र मास की शुरुआत होती है, तब वातावरण में भक्ति, आस्था और ऊर्जा की लहर दौड़ जाती है।
चैत्र नवरात्रि न केवल नौ दिनों तक देवी के नौ रूपों की पूजा का पर्व है, बल्कि यह समय होता है जब देवी मंदिरों में मेले सजते हैं, और हज़ारों श्रद्धालु माँ के दरबार में हाज़िरी लगाने पहुंचते हैं।
चैत्र नवरात्रि का धार्मिक महत्व
चैत्र नवरात्रि, वसंत ऋतु में मनाई जाने वाली नवरात्रि है, जो हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी मानी जाती है।
इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों – शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक – की पूजा होती है।
यह समय साधना, उपवास, आत्म-शुद्धि और शक्ति की आराधना का होता है।
देवी मंदिरों की भव्य रौनक
नवरात्रि के दौरान भारत के प्रमुख शक्ति पीठों और देवी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है।
ये मंदिर बन जाते हैं भक्ति, संगीत, रंग और श्रद्धा के केंद्र।
प्रमुख मंदिर जहाँ लगते हैं विशेष मेले:
- वैष्णो देवी मंदिर, कटरा (जम्मू)
- लाखों श्रद्धालु चढ़ाई करते हैं माता के दर्शन के लिए
- विशेष लाइटिंग, भजन-कीर्तन और सुरक्षा प्रबंध किए जाते हैं
- कालिका माता मंदिर, उज्जैन
- चमत्कारी शक्ति पीठ के रूप में प्रसिद्ध
- भव्य झाँकियाँ और रात्रि आरती का विशेष आयोजन
- झूलेलाल धाम और कनक दुर्गा मंदिर, वाराणसी
- घाटों और मंदिर परिसर में मेला, संगीत-संध्या और दुर्गा सप्तशती पाठ
- मां चिंतपूर्णी, हिमाचल प्रदेश
- चैत्र नवरात्रि में यहाँ का मेला और माँ के दरबार का दिव्य श्रृंगार श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है
नवरात्रि मेले का आकर्षण
नवरात्रि के दौरान मंदिरों के आसपास विशाल मेले लगते हैं, जो धार्मिकता के साथ-साथ सामाजिक रंग भी भरते हैं:
- प्रसाद, फूल और पूजा-सामग्री की दुकानें
- झूलों और चाट-पकौड़ी के स्टॉल्स
- भजन मंडलियाँ, लोक गायन और ढोल-नगाड़े
- कन्या पूजन और हवन यज्ञ
- रंग-बिरंगे झाँकियाँ देवी के विभिन्न रूपों की
परिवारिक और सामाजिक जुड़ाव
चैत्र नवरात्रि का मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक पारिवारिक मिलन और सांस्कृतिक संवाद का माध्यम भी बनता है।
बच्चों, बुज़ुर्गों और युवाओं के लिए ये मेले एक आध्यात्मिक यात्रा के साथ-साथ मनोरंजन और शिक्षा का भी माध्यम हैं।
श्रद्धा की शक्ति
हर श्रद्धालु देवी माँ से कुछ माँगने नहीं, बल्कि आभार व्यक्त करने आता है।
इन मेलों में जो वातावरण बनता है —
- घंटियों की गूंज,
- आरती की थाप,
- और “जय माता दी” के स्वर —
ये सब मिलकर एक ईश्वरीय अनुभूति कराते हैं।
निष्कर्ष
चैत्र नवरात्रि के मेले सिर्फ आयोजनों का नाम नहीं, ये हैं आस्था और संस्कृति का संगम।
देवी मंदिरों की सजावट, भक्तों की कतारें, भजन-कीर्तन की गूंज — ये सब मिलकर एक ऐसा अनुभव बनाते हैं जिसे शब्दों में पिरोना कठिन है।
यदि आपने कभी इन मेलों में हिस्सा नहीं लिया है, तो एक बार ज़रूर जाइए —
क्योंकि माँ दुर्गा का आशीर्वाद और भक्तों की श्रद्धा का समंदर आपको भीतर तक छू जाएगा। 🙏✨