भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने आगामी मिशन चंद्रयान-4 की तैयारियों में जुटा हुआ है। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा, जिसका उद्देश्य चंद्रमा से नमूने एकत्रित कर पृथ्वी पर लाना है।
चंद्रयान-4: मिशन का अवलोकन
चंद्रयान-4 मिशन का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा की सतह से लगभग 2 से 3 किलोग्राम नमूने एकत्र करना और उन्हें पृथ्वी पर लाना है। यह मिशन चंद्रयान कार्यक्रम की चौथी कड़ी है और इसे 2027 से 2028 के बीच प्रक्षेपित करने की योजना है。
मिशन की संरचना और तकनीकी पहलू
चंद्रयान-4 मिशन में पांच प्रमुख मॉड्यूल शामिल होंगे:
- लैंडर मॉड्यूल (LM): चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा और नमूने एकत्र करेगा।
- एसेंडर मॉड्यूल (AM): लैंडर से नमूने लेकर चंद्रमा की कक्षा में पहुंचेगा।
- प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM): एसेंडर मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी की ओर प्रक्षेपित करेगा।
- री-एंट्री मॉड्यूल (RM): नमूनों को सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाएगा।
- ट्रांसफर मॉड्यूल (TM): विभिन्न मॉड्यूल्स के बीच समन्वय स्थापित करेगा।
मिशन की कुल भार क्षमता लगभग 9,200 किलोग्राम होगी, जिसे दो अलग-अलग प्रक्षेपणों में भेजा जाएगा। इन मॉड्यूल्स के बीच अंतरिक्ष में डॉकिंग की आवश्यकता होगी, जो ISRO के लिए एक नई तकनीकी चुनौती है।
तकनीकी चुनौतियाँ और तैयारियाँ
चंद्रयान-4 मिशन के लिए अंतरिक्ष में मॉड्यूल्स के डॉकिंग और अनडॉकिंग जैसी जटिल प्रक्रियाओं का सफल प्रदर्शन आवश्यक है। ISRO ने जनवरी 2025 में स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (Spadex) के माध्यम से इन तकनीकों का परीक्षण किया, जो भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है।
भविष्य की योजनाएँ और महत्व
चंद्रयान-4 मिशन न केवल वैज्ञानिक उद्देश्यों की पूर्ति करेगा, बल्कि यह भारत के भविष्य के मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशनों की नींव भी रखेगा। ISRO के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने इस मिशन के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह मिशन चंद्रमा पर मानव भेजने और उन्हें सुरक्षित वापस लाने की हमारी क्षमता को प्रमाणित करेगा।
निष्कर्ष
चंद्रयान-4 मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो चंद्रमा से नमूने लाने और भविष्य के मानवयुक्त मिशनों की तैयारी में मदद करेगा। ISRO की यह पहल भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में एक अग्रणी स्थान दिलाने में सहायक होगी।