चीन-भारत सीमा विवाद: ताज़ा हालात और सरकार की रणनीति

2024 के अंत में, भारत और चीन ने हिमालयी सीमा पर सैन्य गतिरोध समाप्त करने के लिए एक समझौता किया। इस समझौते के तहत, दोनों देशों ने विवादित क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू की, जिससे चार साल से जारी तनाव में कमी आई।

इसके बाद, अक्टूबर 2024 में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच कज़ान, रूस में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पहली औपचारिक द्विपक्षीय बैठक हुई। इस बैठक में, दोनों नेताओं ने सीमा पर गश्त के नए प्रबंधों पर सहमति व्यक्त की, जिससे सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में सकारात्मक संकेत मिले।


सरकार की रणनीतियाँ और उपाय

1. सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास कार्य:
भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश जैसे सीमावर्ती राज्यों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बड़े निवेश की घोषणा की है। जुलाई 2024 में, सरकार ने 12 जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए $1 बिलियन का निवेश करने का निर्णय लिया, जिससे न केवल ऊर्जा उत्पादन बढ़ेगा बल्कि क्षेत्र में भारतीय उपस्थिति भी मजबूत होगी।

2. सांस्कृतिक और शैक्षिक पहल:
चीन के प्रभाव को कम करने के लिए, भारत सरकार ने हिमालयी बौद्ध मठों में एक मानकीकृत पाठ्यक्रम लागू करने की योजना बनाई है। इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रीय पहचान को बढ़ावा देना और सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी सांस्कृतिक प्रभाव का मुकाबला करना है।

3. कूटनीतिक संवाद और समझौते:
सीमा विवाद को सुलझाने के लिए, भारत और चीन ने उच्च स्तरीय कूटनीतिक संवाद जारी रखा है। जनवरी 2025 में, दोनों देशों ने लगभग पांच वर्षों के बाद सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के संकेत मिले।


चुनौतियाँ और आगे का मार्ग

हालांकि इन सकारात्मक कदमों के बावजूद, कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं। चीन द्वारा तिब्बत में यारलुंग त्संगपो नदी पर एक विशाल बांध के निर्माण की योजना ने भारत में जल संसाधनों की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं। यह परियोजना भारत के जल आपूर्ति पर प्रभाव डाल सकती है और दोनों देशों के बीच नए तनाव का कारण बन सकती है।

इसके अलावा, विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा पर दीर्घकालिक शांति सुनिश्चित करने के लिए केवल कूटनीतिक समझौतों से अधिक की आवश्यकता है। भारत को अपनी सैन्य क्षमताओं और राजनीतिक संकल्प को मजबूत करना होगा ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति का सामना किया जा सके।


निष्कर्ष

चीन-भारत सीमा विवाद में हाल के घटनाक्रमों ने संबंधों में सुधार की संभावनाएँ प्रस्तुत की हैं। सरकार की रणनीतियाँ, जैसे सीमावर्ती विकास, सांस्कृतिक पहल, और कूटनीतिक संवाद, इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। हालांकि, दीर्घकालिक स्थिरता के लिए सतर्कता, निरंतर संवाद, और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देना आवश्यक है।

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