भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां 65% से अधिक जनसंख्या गांवों में रहती है। लेकिन आज भी देश के कई गांव बिजली की बुनियादी सुविधा से पूरी तरह वंचित हैं, या फिर वहाँ बिजली की आपूर्ति बहुत ही अस्थिर और कमजोर है। बिजली की यह असमानता शहरों और गांवों के बीच एक बड़ी खाई बन चुकी है।
ग्रामीण इलाकों में बिजली की प्रमुख समस्याएं:
- अनियमित आपूर्ति: कई गांवों में दिन में केवल कुछ घंटे ही बिजली मिलती है, वो भी बार-बार कटती रहती है।
- कम वोल्टेज की समस्या: जहां बिजली आती है, वहाँ वोल्टेज इतना कम होता है कि पंखे और बल्ब भी ठीक से नहीं चल पाते।
- जर्जर बिजली लाइनें: कई इलाकों में पोल, तार और ट्रांसफॉर्मर वर्षों पुराने हैं, जो कभी भी फेल हो सकते हैं।
- मरम्मत में देरी: अगर बिजली खराब हो जाती है, तो गांवों में मरम्मत टीम कई दिनों बाद पहुंचती है।
- सरकारी उपेक्षा: दूरदराज़ गांवों में बिजली को प्राथमिकता नहीं दी जाती, और बजट या संसाधनों की कमी का बहाना बना दिया जाता है।
इन समस्याओं का प्रभाव:
- कृषि कार्यों पर असर: सिंचाई के लिए बिजली जरूरी है। बिजली न होने से ट्यूबवेल चलाना मुश्किल होता है।
- शिक्षा पर असर: छात्र शाम के समय पढ़ नहीं पाते, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है।
- स्वास्थ्य सेवाएं ठप: ग्रामीण अस्पतालों में बिजली की कमी से इलाज करना मुश्किल हो जाता है।
- ग्रामीण उद्योगों की धीमी प्रगति: कुटीर उद्योग, डेयरी, सिलाई, लकड़ी का काम आदि बिजली के बिना रुक जाते हैं।
- आर्थिक असमानता बढ़ती है: गांवों की विकास गति रुक जाती है और शहरों से अंतर बढ़ता जाता है।
समाधान क्या हो सकते हैं?
- ग्रामीण सौर ऊर्जा योजना: हर गांव या घर में सोलर पैनल लगाने के लिए सरकारी सहायता दी जाए।
- स्थानीय बिजली उत्पादन: छोटे जल विद्युत परियोजनाएं, बायोगैस प्लांट आदि से स्थानीय बिजली बनाई जा सकती है।
- स्मार्ट ग्रिड और स्मार्ट मीटर: टेक्नोलॉजी का उपयोग कर बिजली की निगरानी और वितरण सुधारा जाए।
- ग्राम स्तर पर शिकायत निवारण केंद्र: ताकि शिकायतें समय पर दर्ज हों और समाधान भी तुरंत हो।
- स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण: मरम्मत और देखरेख के लिए गांव के युवाओं को प्रशिक्षित किया जाए, जिससे रोज़गार भी मिले।
- जन भागीदारी: ग्रामीण जनता को बिजली संरक्षण और अधिकारों के प्रति जागरूक करना बेहद जरूरी है।
निष्कर्ष
जब तक भारत का गांव रोशन नहीं होगा, तब तक भारत का विकास अधूरा रहेगा। बिजली सिर्फ रोशनी नहीं देती, बल्कि यह विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता की कुंजी है। सरकार को नीतियों में ग्रामीण क्षेत्रों को प्राथमिकता देनी चाहिए और नागरिकों को भी मिलकर अपनी भागीदारी निभानी होगी। तभी सच्चे मायनों में “सबल और समृद्ध भारत” का सपना साकार होगा।