भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति, आंतरिक और बाहरी दोनों तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए डिज़ाइन की गई है। जहां बाहरी सुरक्षा पर भारतीय सेना और रक्षा बलों का ध्यान है, वहीं आंतरिक सुरक्षा में पुलिस बलों और अर्धसैनिक बलों का महत्व है। आंतरिक सुरक्षा में आतंकवाद, अपराध, सांप्रदायिक हिंसा, सीमा पर तस्करी और साइबर अपराध जैसे मुद्दे शामिल हैं। देश की सुरक्षा नीति में इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए रणनीतियां बनाई जाती हैं।
आंतरिक सुरक्षा: प्रमुख चुनौतियां और नीतियां
- आतंकवाद
भारत में आंतरिक सुरक्षा के सबसे बड़े खतरे में आतंकवाद है, विशेषकर जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियाँ और देश के अन्य हिस्सों में नक्सलवाद। भारतीय सरकार ने आतंकवाद से निपटने के लिए कठोर कदम उठाए हैं, जैसे विशेष सुरक्षा बलों का गठन और आतंकवाद विरोधी कानूनों का कड़ाई से पालन। - नक्सलवाद और माओवाद
नक्सलवाद भारत के विभिन्न राज्यों में फैला हुआ है, खासकर छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, और बिहार में। सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ “ऑपरेशन ग्रीन हंट” जैसे अभियानों को अंजाम दिया है, लेकिन यह एक दीर्घकालिक समस्या बनी हुई है। नक्सलवाद से निपटने के लिए सुरक्षा बलों के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक सुधारों की भी आवश्यकता है। - सांप्रदायिक हिंसा
भारत में धार्मिक और जातीय विविधता के कारण कभी-कभी सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएँ होती हैं। इन घटनाओं से निपटने के लिए सरकार ने विभिन्न राष्ट्रीय सुरक्षा उपायों को अपनाया है, जैसे कि समय पर निषेधाज्ञाएँ (curfews) लगाना और असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना। - साइबर सुरक्षा
बढ़ती डिजिटल दुनिया में साइबर हमले और डेटा चोरी आंतरिक सुरक्षा के लिए एक नया खतरा बन गए हैं। भारत सरकार ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति बनाई है, जो साइबर हमलों से बचाव के लिए उपायों की पहचान करती है। इस नीति के तहत साइबर सुरक्षा के लिए नोडल एजेंसियों को भी सशक्त किया गया है। - समानांतर अर्थव्यवस्था और तस्करी
भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक और बड़ी चुनौती समानांतर अर्थव्यवस्था, मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध व्यापार है। सरकार ने सीमा पर सख्त निगरानी के लिए बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) और कस्टम्स अधिकारियों को सशक्त किया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा नीति
भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति बाहरी और आंतरिक दोनों खतरे को संबोधित करती है। यह नीति देश की सार्वभौमिकता, क्षेत्रीय अखंडता, और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैयार की गई है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) इस नीति को कार्यान्वित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
- डिफेंस और बाहरी सुरक्षा
भारत की रक्षा नीति का उद्देश्य सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, विशेषकर चीन और पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच। सरकार ने रक्षा बजट में वृद्धि की है और आत्मनिर्भरता के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान शुरू किया है, जिसमें रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। - डिजिटल सुरक्षा
जैसे-जैसे भारत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निर्भर होता जा रहा है, साइबर सुरक्षा को एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया गया है। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति के तहत, साइबर हमलों से निपटने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और अन्य संबंधित एजेंसियाँ मिलकर काम कर रही हैं।
निष्कर्ष
भारत की आंतरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को कई मोर्चों पर मजबूत किया जा रहा है, जिसमें आतंकवाद, नक्सलवाद, साइबर सुरक्षा और सामरिक रक्षा प्रमुख हैं। इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, सुरक्षा बलों की मजबूती और सामाजिक-आर्थिक सुधारों की आवश्यकता है। सरकार के इन प्रयासों से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि भारत अपने नागरिकों को सुरक्षित और शांति से रह सके।