महिलाओं की भागीदारी बढ़ता व्यापार जगत – एक महिला उद्यमी से बातचीत

भारत का व्यापार जगत अब सिर्फ पुरुषों का क्षेत्र नहीं रहा। आज की महिलाएं नए-नए क्षेत्रों में कदम रख रही हैं, और सफलता की नई मिसालें गढ़ रही हैं। चाहे टेक्नोलॉजी हो, फैशन, हेल्थकेयर या फूड इंडस्ट्री — हर जगह महिलाएं नेतृत्व करती नज़र आ रही हैं।

आज हम मिल रहे हैं एक ऐसी ही प्रेरणादायक महिला उद्यमी से, जिन्होंने न केवल अपने व्यवसाय को खड़ा किया, बल्कि दर्जनों महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाया।


परिचय: मिलिए नेहा अरोड़ा से

नाम: नेहा अरोड़ा
उम्र: 34 वर्ष
स्टार्टअप: EarthEssence – एक ऑर्गेनिक स्किनकेयर ब्रांड जो प्राकृतिक हर्ब्स और देसी तकनीकों का उपयोग करता है
शुरुआत का साल: 2019
कर्मचारी: 40 (जिसमें से 80% महिलाएं हैं)
मुख्यालय: जयपुर, राजस्थान


खास बातचीत – नेहा की प्रेरणादायक यात्रा

Q1: EarthEssence की शुरुआत का विचार कहां से आया?

नेहा:
मैंने अपनी दादी से बहुत सी घरेलू स्किन रेसिपीज़ सीखी थीं। जब मैंने मार्केट में केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स का असर देखा, तो सोचा कि क्यों न प्राकृतिक चीजों को फिर से सामने लाया जाए। इस सोच से EarthEssence की शुरुआत हुई।


Q2: एक महिला के तौर पर बिजनेस शुरू करना कैसा अनुभव रहा?

नेहा:
शुरुआत में चुनौतियाँ थीं – परिवार से सहमति, निवेश की कमी, और सामाजिक अपेक्षाएं। लेकिन जब मैंने खुद पर भरोसा किया और एक-एक कदम आत्मविश्वास से बढ़ाया, तो रास्ते खुद बनने लगे।


Q3: क्या आपकी टीम में और भी महिलाएं हैं?

नेहा:
हाँ, हमारी 40 सदस्यीय टीम में 80% महिलाएं हैं, जिनमें से अधिकतर ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं। हम उन्हें स्किल ट्रेनिंग देते हैं और उनका आर्थिक सशक्तिकरण करते हैं।


Q4: महिलाओं के लिए आपका क्या संदेश है?

नेहा:
“खुद पर भरोसा रखें। आपके पास जो हुनर है, वही आपकी ताकत है।” महिलाएं न केवल परिवार चला सकती हैं, बल्कि कंपनी भी चला सकती हैं – और बहुत अच्छे से!


Q5: EarthEssence का अगला कदम क्या है?

नेहा:
हम जल्द ही अंतरराष्ट्रीय मार्केट में लॉन्च करेंगे। साथ ही, हम ‘1000 महिलाएं, 1000 आज़ाद सपने’ नाम से एक नई पहल शुरू कर रहे हैं, जिसमें हम 1000 महिलाओं को ट्रेन कर आत्मनिर्भर बनाएंगे।


महिलाओं की शक्ति: बदलाव की असली चाबी

नेहा जैसी महिलाएं यह साबित कर रही हैं कि जब महिलाएं आगे बढ़ती हैं, तो पूरा समाज आगे बढ़ता है। व्यापार में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी न केवल आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद है, बल्कि सामाजिक बदलाव का भी जरिया बन रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share via
Copy link