पृष्ठभूमि
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 8 अप्रैल से लागू किया गया। इस अधिनियम में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण से संबंधित महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिससे मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों में असंतोष उत्पन्न हुआ। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में इस अधिनियम के विरोध में प्रदर्शन शुरू हुए, जो जल्द ही हिंसक हो गए।
हिंसा की घटनाएँ
8 अप्रैल से शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने 11 अप्रैल को उग्र रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 12 को जाम कर दिया, पुलिस वाहनों में आग लगा दी, और निमतिता रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों पर पथराव किया। स्थानीय सांसद खलीलुर रहमान के कार्यालय पर भी हमला किया गया। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई, जिनमें एक ही परिवार के दो सदस्य – हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास शामिल हैं। इसके अलावा, 17 वर्षीय इजाज़ अहमद शेख की भी गोली लगने से मृत्यु हुई।
प्रशासनिक कार्रवाई
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कई कदम उठाए:
- मुर्शिदाबाद के प्रभावित क्षेत्रों में धारा 144 लागू की गई।
- इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गईं।
- केंद्रीय बलों, जैसे BSF और CRPF, की तैनाती की गई।
- अब तक 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, और 11 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि यह अधिनियम राज्य में लागू नहीं किया जाएगा और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। वहीं, विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने का आरोप लगाया है।
वर्तमान स्थिति
प्रशासन के अनुसार, स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन तनावपूर्ण बनी हुई है। कई लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं।
निष्कर्ष
मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हुई हिंसा ने राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। सरकार और समाज दोनों को मिलकर शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रयास करने होंगे।