आजकल सड़कों पर चल रहा निर्माण कार्य आम बात हो गई है, लेकिन जब यह काम बिना किसी चेतावनी या सूचना बोर्ड के होता है, तो यह आम लोगों के लिए बड़ा जोखिम बन जाता है।
रात हो या दिन, बारिश हो या धूप — सड़क के बीच खुदाई, आधे-अधूरे गड्ढे, खुले मैनहोल और बिखरे मटीरियल के कारण दुर्घटनाएं आम हो गई हैं। ऐसे में सवाल उठता है:
👉 जब कोई सूचना नहीं दी जाती, तो दुर्घटना की ज़िम्मेदारी किसकी है?
सूचना बोर्ड क्यों है ज़रूरी?
- आगाह करने का साधन: सड़क पर कार्य हो रहा है, यह जानना हर वाहन चालक के लिए आवश्यक होता है
- रूट डायवर्जन की जानकारी: वैकल्पिक रास्ता या धीमी गति से चलने का संकेत
- रात में दृश्यता: रिफ्लेक्टिव बोर्ड या बैरिकेड रात में दुर्घटनाओं से बचाते हैं
- पैदल यात्रियों के लिए चेतावनी: उन्हें कहाँ से चलना है, इसका पता चलता है
बिना बोर्ड के कार्य – खतरे की घंटी
- दुपहिया वाहन चालक गड्ढे में गिर सकते हैं
- तेज़ गति से चलती कारें अचानक ब्रेक लगने पर दुर्घटनाग्रस्त हो सकती हैं
- पैदल यात्री खुदाई वाले स्थान पर गिर सकते हैं, खासकर रात में
- बरसात में पानी भरने से खतरा और भी छिप जाता है
हादसों की हकीकत:
हर साल देशभर में ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जहाँ बिना सूचना के चल रहे सड़क कार्यों की वजह से लोगों की जान तक चली जाती है।
किसकी है ज़िम्मेदारी?
- नगर निगम या PWD – जिनके अंतर्गत सड़क कार्य आता है
- ठेकेदार या निर्माण एजेंसी – जिन्हें काम का टेंडर मिला होता है
- स्थानीय प्रशासन – जिन्हें सुरक्षा मानकों की निगरानी करनी चाहिए
यदि दुर्घटना होती है, तो कानूनन इनकी सीधी जवाबदेही बनती है।
क्या कहता है कानून और नियम?
सरकारी गाइडलाइंस और सड़क सुरक्षा अधिनियमों के अनुसार:
- हर निर्माण स्थल पर स्पष्ट सूचना बोर्ड, रात में रिफ्लेक्टिव संकेत, और सुरक्षा बैरिकेड लगाना अनिवार्य है
- यदि किसी दुर्घटना में ये सुरक्षा मानक अनुपस्थित पाए जाएं, तो ठेकेदार पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है
- जनता को जानबूझकर खतरे में डालना एक दोषनीय लापरवाही मानी जाती है
जनता क्या कर सकती है?
- स्थानीय प्रशासन को शिकायत करें
- RTI के ज़रिए पूछें – सुरक्षा के कौन-कौन से उपाय किए गए?
- खुद सूचना बोर्ड की मांग करें – यह हमारा हक है
- फोटो/वीडियो के साथ सोशल मीडिया पर मुद्दा उठाएं
- स्थानीय प्रतिनिधियों से संपर्क कर दबाव बनाएं
सुझाव और समाधान
- सूचना बोर्ड लगाना ठेकेदार की अनिवार्य जिम्मेदारी बनाया जाए
- सड़क कार्य शुरू होने से पहले स्थानीय निवासियों को सूचित किया जाए
- रात के समय सोलर या बैटरी से चलने वाले फ्लैशिंग लाइट बोर्ड का उपयोग हो
- सुरक्षा मानकों का ऑडिट हर प्रोजेक्ट पर अनिवार्य किया जाए
निष्कर्ष
विकास के कार्य ज़रूरी हैं, लेकिन सुरक्षा के बिना किया गया कोई भी कार्य, सीधे जनता की जान से खिलवाड़ है।
जब सड़क पर काम हो रहा हो, और आसपास कोई चेतावनी न हो — तो उस गड्ढे में गिरना सिर्फ दुर्घटना नहीं, प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम होता है।
अब समय है कि हम यह सवाल पूछें —
“सड़क पर खतरा किसका है, और ज़िम्मेदार कौन?”