“स्टार्टअप इंडिया की उड़ान” – एक सफल युवा उद्यमी से खास बातचीत

भारत आज दुनिया के सबसे तेजी से उभरते हुए स्टार्टअप हब्स में से एक बन चुका है। “स्टार्टअप इंडिया” जैसी सरकारी पहल ने देशभर के युवाओं को अपने सपनों को हकीकत में बदलने की ताक़त दी है। आज हम मिल रहे हैं एक ऐसे ही युवा उद्यमी से, जिन्होंने अपने आइडिया से न सिर्फ बिजनेस खड़ा किया, बल्कि सैकड़ों लोगों को रोजगार भी दिया।

परिचय: मिलिए अर्जुन मल्होत्रा से

नाम: अर्जुन मल्होत्रा
उम्र: 27 वर्ष
स्टार्टअप: GreenByte – एक सस्टेनेबल टेक कंपनी जो ई-वेस्ट को रीसायकल करके उपयोगी प्रोडक्ट्स बनाती है
शुरुआत का साल: 2020
कर्मचारी: 85+
मुख्यालय: बैंगलोर, भारत


सवाल-जवाब: अर्जुन की ज़ुबानी उनकी सफर की कहानी

Q1: स्टार्टअप शुरू करने का विचार कहां से आया?

अर्जुन:
कोविड के दौरान मैंने देखा कि घरों में बहुत सा इलेक्ट्रॉनिक कचरा पड़ा रहता है। उसी समय मुझे विचार आया कि क्यों न हम इस वेस्ट को इको-फ्रेंडली तरीके से रीसायकल करें और उससे नया कुछ बनाएं? मैंने रिसर्च की, टीम बनाई और 2020 में GreenByte की शुरुआत की।


Q2: “स्टार्टअप इंडिया” मिशन का आपकी जर्नी में क्या रोल रहा?

अर्जुन:
बहुत बड़ा रोल रहा! हमें शुरुआती स्टेज में सरकार से मेंटरशिप, फंडिंग और इन्क्यूबेशन सपोर्ट मिला। स्टार्टअप इंडिया प्लेटफॉर्म पर जुड़ने के बाद ही हमें इन्वेस्टर्स का ध्यान मिला।


Q3: आपकी सबसे बड़ी चुनौती क्या रही और आपने कैसे पार की?

अर्जुन:
सबसे बड़ी चुनौती थी – लोगों का भरोसा जीतना। कोई भी नए स्टार्टअप पर शुरुआत में भरोसा नहीं करता। लेकिन जब हमने पहले 6 महीनों में 3 टन ई-वेस्ट प्रोसेस किया और क्लाइंट्स को रीयूज़ प्रोडक्ट्स दिए, तब लोगों का नज़रिया बदला।


Q4: एक युवा उद्यमी के तौर पर आपकी सबसे बड़ी सीख क्या है?

अर्जुन:
“कभी भी फेल होने से मत डरिए।” हर आइडिया हिट नहीं होता, लेकिन हर कोशिश कुछ सिखाती है। टीम पर विश्वास रखो और लगातार सीखते रहो।


Q5: आने वाले 5 सालों में आप GreenByte को कहां देखना चाहते हैं?

अर्जुन:
हम भारत के 10 राज्यों में ऑपरेशन शुरू करना चाहते हैं और हर साल कम से कम 500 टन ई-वेस्ट को रीसायकल करने का लक्ष्य है। साथ ही, स्कूल और कॉलेजों में ई-वेस्ट अवेयरनेस अभियान भी चलाना चाहते हैं।


स्टार्टअप इंडिया की असली ताक़त

अर्जुन जैसे युवा आज भारत के भविष्य की नींव रख रहे हैं। उनका जुनून, दृष्टिकोण और बदलाव लाने की चाह ही स्टार्टअप इंडिया की असली ताकत है।

अगर आपके पास भी कोई आइडिया है, तो उसे आज ही जगाएं। क्योंकि जैसा अर्जुन कहते हैं —
“स्टार्टअप सिर्फ बिजनेस नहीं, एक मिशन है!”


अंत में…

स्टार्टअप इंडिया की यह उड़ान तभी और ऊँचाई तक पहुँचेगी, जब युवा सोच को समर्थन, संसाधन और सही दिशा मिलेगी। अर्जुन मल्होत्रा जैसे युवा उद्यमी हमें दिखाते हैं कि भारत की अगली क्रांति दिमाग़ों में ही शुरू हो रही है।


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