हर साल हरियाणा के फरीदाबाद स्थित सूरजकुंड में जब रंगों की बारिश होती है, कारीगरों की कला दमकती है, और लोक संगीत की धुनें गूंजती हैं — तब वहां सजता है भारत का सबसे बड़ा हस्तशिल्प मेला — सूरजकुंड शिल्प मेला। यह मेला भारत की सांस्कृतिक विविधता, पारंपरिक कलाओं और लोकजीवन का जीवंत उत्सव है, जो दुनियाभर के शिल्प प्रेमियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
सूरजकुंड शिल्प मेले की शुरुआत
1987 में इस मेले की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य था भारत के लुप्त होते पारंपरिक हस्तशिल्प और लोककलाओं को प्रोत्साहन देना।
आज यह मेला आंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुका है और इसमें भारत के सभी राज्यों सहित कई विदेशी देश भी भाग लेते हैं।
हस्तशिल्प की अनूठी दुनिया
सूरजकुंड मेला देशभर के हजारों शिल्पकारों के लिए प्रत्यक्ष मंच प्रदान करता है, जहाँ वे अपने हाथों से बनाए गए अद्वितीय उत्पादों को प्रदर्शित और विक्रय कर सकते हैं।
यहाँ आपको मिलेंगे:
- राजस्थानी बंधेज और मोजड़ी
- काश्मीर की पश्मीना शॉल
- मधुबनी और वारली चित्रकला
- बेंत, लकड़ी और धातु से बनी मूर्तियाँ
- छत्तीसगढ़ और झारखंड की जनजातीय कला
- दक्षिण भारत की कांस्य कलाकृतियाँ
यह मेला उन लोगों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं, जो भारतीय हस्तशिल्प और लोक कला से प्रेम करते हैं।
संगीत, नृत्य और लोक संस्कृति
मेले में हर शाम होती है सांस्कृतिक संध्या, जहाँ भारत के विभिन्न राज्यों से आए कलाकार लोकगीत, नृत्य, और नाट्य प्रस्तुतियाँ करते हैं:
- पंजाब का भांगड़ा और गिद्धा
- असम का बिहू
- राजस्थान का घूमर
- तमिलनाडु का भरतनाट्यम
- उत्तर प्रदेश का कथक नृत्य
इन प्रस्तुतियों के माध्यम से एक साथ कई भाषाएं, संस्कृतियाँ और परंपराएं जीवित हो उठती हैं।
व्यंजन मेला: स्वादों की सैर
सूरजकुंड मेला केवल कला का नहीं, बल्कि खानपान का भी उत्सव है।
- यहाँ उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम तक के स्वाद मिलते हैं।
- दाल बाटी चूरमा, सरसों का साग-मक्के की रोटी, दक्षिण भारतीय थाली, बिहारी लिट्टी चोखा, और नॉर्थ ईस्ट के मोमोज़ — सब एक ही जगह।
अंतरराष्ट्रीय भागीदारी
हर साल मेले में एक देश को थीम देश (Partner Nation) के रूप में चुना जाता है। वह देश अपनी संस्कृति, हस्तशिल्प, परिधान और व्यंजन के साथ भाग लेता है।
इसी तरह हर साल भारत के किसी राज्य को थीम स्टेट बनाया जाता है, जो उस राज्य की समृद्ध परंपरा को दर्शाता है।
📍 जाने का सही समय और स्थान
- समय: हर साल 1 फरवरी से 15 फरवरी तक
- स्थान: सूरजकुंड, फरीदाबाद, हरियाणा (दिल्ली से मात्र 20 किमी)
- कैसे पहुंचें: दिल्ली मेट्रो, बस या टैक्सी से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
निष्कर्ष
सूरजकुंड शिल्प मेला सिर्फ एक मेला नहीं, यह भारत की आत्मा का जश्न है — जहाँ कला, संस्कृति और परंपरा एक साथ झलकती हैं।
यह मेला न सिर्फ हस्तशिल्प को एक नई पहचान देता है, बल्कि कारीगरों को सम्मान और ग्राहकों को गर्व देता है।
अगर आपने सूरजकुंड मेला नहीं देखा है, तो इस फरवरी जरूर जाएं — क्योंकि वहाँ भारत खुद को सजीव रूप में प्रस्तुत करता है।