अमेरिका द्वारा भारत सहित कई देशों पर 26% तक के नए टैरिफ लगाने के निर्णय ने वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ा दी है। इससे निवेशकों का विश्वास डगमगाया है, जिससे भारतीय रुपया कमजोर हुआ है और बांड यील्ड में गिरावट आई है।
भारतीय रुपया कमजोर
मार्च 2025 के अंत में, भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.04 पर बंद हुआ, जो सप्ताह के दौरान 0.9% की गिरावट दर्शाता है। हालांकि अमेरिकी डॉलर में कमजोरी ने कुछ समर्थन प्रदान किया, लेकिन अमेरिकी टैरिफ नीतियों की अनिश्चितता ने रुपया पर दबाव बनाए रखा।
बांड यील्ड में गिरावट
भारतीय 10-वर्षीय सरकारी बांड यील्ड 6.4445% तक गिर गई, जो लगातार चौथे सप्ताह की गिरावट है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा हाल ही में 25 आधार अंकों की रेपो दर कटौती और “अनुकूल” मौद्रिक नीति रुख अपनाने से बांड यील्ड पर दबाव बना है।
RBI की मौद्रिक नीति प्रतिक्रिया
RBI ने अप्रैल 2025 में रेपो दर को 6.00% तक घटाया, जो लगातार दूसरी कटौती है। यह निर्णय अमेरिकी टैरिफ के कारण बढ़ते वैश्विक जोखिमों और घरेलू आर्थिक वृद्धि की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया। Reuters
वैश्विक आर्थिक प्रभाव
अमेरिकी टैरिफ नीतियों के कारण वैश्विक निवेशकों का विश्वास कमजोर हुआ है, जिससे अमेरिकी डॉलर में गिरावट आई है और उभरते बाजारों से पूंजी निकासी बढ़ी है। इससे भारतीय बाजारों पर भी दबाव पड़ा है।
निष्कर्ष
अमेरिकी टैरिफ नीतियों की अनिश्चितता ने भारतीय वित्तीय बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। रुपये की कमजोरी और बांड यील्ड में गिरावट से निवेशकों की चिंता बढ़ी है। RBI की मौद्रिक नीति में लचीलापन और वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर नजर रखना आवश्यक होगा।