भारत दुनिया का सबसे युवा देश है — जिसकी औसत आयु मात्र 29 साल है। लेकिन जब राजनीति की बात आती है, तो संसद और विधानसभा में उम्रदराज चेहरे और पुराने विचार ही नजर आते हैं।
तो सवाल उठता है — क्या आज के युवाओं को राजनीति में सक्रिय भागीदारी नहीं निभानी चाहिए? क्या बदलाव लाने के लिए अब युवा नेतृत्व समय की सबसे बड़ी ज़रूरत नहीं बन गया है?
राजनीति से दूरी क्यों?
अक्सर युवा राजनीति से दूर रहना पसंद करते हैं, क्यों?
- “राजनीति गंदी है।”
- “सिस्टम में कुछ नहीं बदलेगा।”
- “ये हमारे बस की बात नहीं।”
लेकिन सोचिए, अगर अच्छा पढ़ा-लिखा, जागरूक और ऊर्जा से भरा युवा राजनीति से दूर रहेगा, तो फिर देश की बागडोर किसके हाथ में जाएगी?
युवा क्यों हैं जरूरी राजनीति में?
- नई सोच, नया दृष्टिकोण
युवा तकनीक, विज्ञान, वैश्विक विचारों और सामाजिक मुद्दों को बेहतर तरीके से समझते हैं। वे भविष्य की चुनौतियों को समय से पहले पहचान सकते हैं। - तेज़ी से निर्णय लेने की क्षमता
युवा नेतृत्व तेज़, आधुनिक और व्यावहारिक निर्णय लेने में सक्षम होता है। - भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़
युवा अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग करते हैं। यही लोकतंत्र को मजबूत करता है। - युवा जनसंख्या का प्रतिनिधित्व
जब 60% आबादी 35 से कम उम्र की है, तो क्या उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में प्रतिनिधित्व नहीं मिलना चाहिए?
बदलाव की कुछ झलकियाँ
- हार्दिक पटेल, तेजस्वी यादव, इमरान प्रतापगढ़ी, आदित्य ठाकरे जैसे युवाओं ने राजनीति में कदम रखकर यह साबित किया कि नई पीढ़ी भी नेतृत्व कर सकती है।
- कई राज्यों में युवा पंचायत सदस्य, मेयर और पार्षद बनकर बदलाव ला रहे हैं।
- सोशल मीडिया पर पॉलिटिकल अवेयरनेस और कैंपेनिंग का नेतृत्व अब युवा ही कर रहे हैं।
आगे का रास्ता: युवाओं को क्या करना चाहिए?
कदम | उद्देश्य |
---|---|
वोटिंग में सक्रिय भागीदारी | बदलाव की पहली सीढ़ी |
स्थानीय राजनीति से जुड़ना | ज़मीनी समझ और अनुभव |
जागरूकता फैलाना | औरों को भी प्रेरित करना |
राजनीति को करियर के तौर पर देखना | नेतृत्व की जिम्मेदारी लेना |
निष्कर्ष
अगर युवा राजनीति से दूर रहेंगे, तो वही पुराने चेहरे और ढांचे देश की दिशा तय करते रहेंगे।
अब समय आ गया है कि युवा सिर्फ बदलाव की बात न करें, खुद बदलाव बनें।
राजनीति कोई गंदगी नहीं, बल्कि समाज सेवा का सबसे बड़ा मंच है — और इस मंच पर युवाओं की उपस्थिति अब समय की मांग है।
“राजनीति से भागने के बजाय, हमें राजनीति को अपना बनाना होगा।”